Thursday, July 30, 2015

जिन्दगी का राज

चर्चा अपने क़त्ल का अब दुश्मनों के दिल में है,

देखना है ये तमाशा कौन सी मंजिल में है ?


कौम पर कुर्बान होना सीख लो ऐ हिन्दियो !

ज़िन्दगी का राज़े-मुज्मिर खंजरे-क़ातिल में है !


साहिले-मक़सूद पर ले चल खुदारा नाखुदा !

आज हिन्दुस्तान की कश्ती बड़ी मुश्किल में है !


दूर हो अब हिन्द से तारीकि-ए-बुग्जो-हसद ,

अब यही हसरत यही अरमाँ हमारे दिल में है !


बामे-रफअत पर चढ़ा दो देश पर होकर फना ,

'बिस्मिल' अब इतनी हविश बाकी हमारे दिल में है !

न चाहूं मान / राम प्रसाद बिस्मिल

न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना
मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना

करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख
अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना 

लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी
चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना

भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना

लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन
करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना

नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से "बिस्मिल" तुम
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना